प्रैक्टिस, पिस्टल और मर्डर… तीन माह से ऐसे रची जा रही थी बाबा सिद्दीकी के कत्ल की साजिश, पूछताछ में अहम खुलासा

प्रैक्टिस, पिस्टल और मर्डर… तीन माह से ऐसे रची जा रही थी बाबा सिद्दीकी के कत्ल की साजिश, पूछताछ में अहम खुलासा

टेक्नोलॉजी

Baba Siddiqui Murder Case: एनसीबी के वरिष्ठ नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या के मामले में अब भी पुलिस फरार आरोपियों की तलाश में जुटी है. इस बीच गिरफ्तार किए जा चुके चार आरोपियों से पूछताछ में कई नए खुलासे हुए हैं. मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच सूत्रों के मुताबिक तीन में से दो शूटरों गुरमैल सिंह और धर्मराज कश्यप ने बाबा सिद्दीकी को गोली मारने से पहले करीब 15 दिनों तक यूट्यूब पर वीडियो देखकर गोली चलाने की प्रैक्टिस की थी. इसके लिए दोनों पिस्टल में बिना मैगजीन डाले ही ट्रिगर दबाने और निशाना लगाने की प्रैक्टिस कर रहे थे. पकड़े गए आरोपियों के पास से शूटआउट में इस्तेमाल दो पिस्टल भी बरामद कर लिए गए हैं.

बाबा को मारने की 10 नाकाम कोशिश
पूछताछ के दौरान ये भी खुलासा हुआ है कि शूटरों ने 12 अक्टूबर को बाबा सिद्दीकी को गोली मारने से पहले कम से कम 10 बार और भी ऐसी ही कोशिश की थी. इस दौरान वो कई ऐसी जगह पर पहुंचे जहां बाबा सिद्दीकी मौजूद थे. लेकिन उन्हें गोली चलाने का मौका नहीं मिल पाया. वजह ये थी कि कभी बाबा सिद्दीकी अपने समर्थकों से घिरे थे, कभी उनके आसपास सुरक्षा घेरा मजबूत था तो कभी शूटरों को वारदात के लिए खुली जगह नहीं मिली. इसी के बाद रेकी के दौरान उन्होंने तय किया कि बाबा सिद्दीकी को वो उनके बेटे जीशान के ऑफिस के बाहर ही गोली मारेंगे, क्योंकि जीशान के ऑफिस के बाहर काफी खुला एरिया था. जहां से भागने के कई रास्ते थे.

पुलिस के रडार पर आया चौथा आरोपी हरीश
मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच बाबा सिद्दीकी के कत्ल के सिलसिले में गुरमैल सिंह और धर्मराज कश्यप को वारदात वाली रात ही मौके से गिरफ्तार कर चुकी थी. तीसरा आरोपी परवीन लोनकार पुणे से पकड़ा गया. इन तीनों से पूछताछ के बाद साजिश में शामिल एक और शख्स का नाम सामने आया. जो था हरीश कुमार निषाद. हरीश भी पुणे में ही परवीन के तबेले के बराबर में कबाड़ की दुकान चलाता है. 

हरीश ने ही शूटर्स को सौंपी थी बाइक
पुलिस सूत्रों के मुताबिक परवीन ने ही निषाद को 60 हजार रुपये दिए थे. एक पुरानी बाइक खरीदने के लिए. इसी बाइक से शूटरों को बाबा सिद्दीकी की रेकी करनी थी. पुणे में ही पुरानी बाइक खरीदने के बाद निषाद वही बाइक खुद से चलाता हुआ मुंबई पहुंचा था. मुंबई में उसने कुर्ला में ठहरे हुए शूटरों को ये बाइक सौंप दी थी. पुलिस ने कुर्ला के उसी घर से ये बाइक बरामद कर ली है.

तीन माह से चल रही थी बाबा के कत्ल की तैयारी
क्राइम ब्रांच के सूत्रों के मुताबिक, पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ के दौरान जो कहानी निकलकर सामने आई है, उसके मुताबिक बाबा सिद्दीकी को मारने की प्लानिंग पिछले तीन महीने से चल रही थी. इसमें रेकी और निगरानी करना भी शामिल था. बाबा के हर मूवमेंट पर आरोपी नजर रख रहे थे.

ऐसे जुड़ती गईं इस केस की कड़ियां
पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ में जो कहानी निकलकर सामने आई वो कुछ यूं है कि पंजाब के जालंधर के शकर गांव का रहने वाला जीशान अख्तर मर्डर और डकैती के केस में पटियाला जेल में बंद था. उसका अपना एक गैंग है. वो साल 2022 से जून 2024 तक पटियाला जेल में ही बंद था. यहीं उसकी मुलाकात लॉरेंस गैंग के कुछ गुर्गों से हुई. इसके अलावा जेल में रहने के दौरान ही उसकी मुलाकात गुरमैल सिंह से भी हुई. जो अपने बड़े भाई के कत्ल के इल्जाम में सजा काट रहा था. इसी साल 7 जून को जीशान जमानत पर जेल से बाहर आ गया. इसी दौरान गुरमैल भी जमानत पर जेल से बाहर आ चुका था. जीशान ने गुरमैल के घर कैथल जाकर उससे मुलाकात की थी. इसके बाद मुंबई चला गया था.

जीशान ने किया था शूटरों का इंतजाम
मुंबई पुलिस के मुताबिक पटियाला जेल में रहने के दौरान ही लॉरेंस गैंग के गुर्गों से बातचीत के बाद जीशान अख्तर को उसका मैसेज मिला. उसे टारगेट का नाम बताया गया. यह टारगेट कोई और नहीं बाबा सिद्दीकी ही थे. अब जीशान को शूटरों का इंतजाम करना था. लॉरेंस गैंग के काम करने के तरीके को देखते हुए. ऐसे शूटर चुने जाने थे जिनका कोई बड़ा क्रिमिनल बैंकग्राउंड ना हो और ना ही वो वॉटेंड हो. इसके बाद जीशान पुणे पहुंचा. वहां वो शुभम उर्फ शुबु लोनकार से मिला, जो कि पहले से ही लॉरेंस गैंग के लिए काम करता रहा है. पुणे में उसकी अपनी डेरी और तबेला है. उसके बराबर में एक कबाड़ का गोदाम है. उसी गोदाम में यूपी के बहराइच से आए धर्मराज कश्यप और शिवकुमार काम करते थे. 

शूटर्स के लिए किराए पर लिया गया था फ्लैट 
शुभम ने ही इन दोनों को पैसे का लालच देकर इस काम के लिए तैयार कर लिया था. अब हैंडलर जीशान के पास तीन शूटर थे. गुरमैल, धर्मराज और शिवकुमार. जीशान ने ही मुंबई में इन तीनों के ठहरने का इंतजाम करवाया. मुंबई के कुर्ला इलाके में 14 हजार रुपए में किराए का एक फ्लैट लिया. इसमें ये तीनों रहा करते थे. ये फ्लैट 2 सितंबर को किराए पर लिया गया था. मुंबई आने के बाद अब तीनों का एक ही काम था. वो बांद्रा ईस्ट में बाबा सिद्दीकी की रेकी करना और ये पता लगाना कि वो कब-कब और कहां-कहां जाते हैं. किनसे मिलते हैं. कब घर पर होते हैं. कब बेटे जीशान सिद्दीकी के दफ्तर जाते हैं. कुर्ला से ये तीनों हमेशा ऑटो से बांद्रा आए करते थे. फिर दिन भर बाबा सिद्दीकी की हर मूवमेंट की टोह लेते थे.

अभी भी मुंबई पुलिस को खटक रही हैं दो बातें
हालांकि आरोपियों की गिरफ्तारी के बावजूद दो चीजे ऐसी हैं जो अब भी मुंबई पुलिस को खटक रही हैं. पकड़े गए दो आरोपियों के पुराने तार बेशक लॉरेंस गैंग से जुड़ रहे हों. लेकिन खुद लॉरेंस गैंग बाबा सिद्दीकी के कत्ल में शामिल है ऐसा कोई सबूत अब भी मुंबई पुलिस के हाथ नहीं लगा है. एक जीशान और दूसरे शुभम लोनकर का पहले बेशक लॉरेंस गैंग से संपर्क रहा है लेकिन जिन तीन शूटरों ने इस काम को अंजाम दिया. उनका लॉरेंस से कोई रिश्ता अब तक साबित नहीं हो पाया है. जिस पोस्ट को लेकर ये दावा किया गया कि बाबा सिद्दीकी के कत्ल की जिम्मेदारी लॉरेंस गैंग ने ली है, उस पोस्ट को लेकर भी अबतक तस्वीर साफ नहीं हो पाई है. 

सोशल मीडिया पोस्ट पर भी सवाल
असल में संडे की सुबह इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर डालने के फौरन बाद उसे डिलीट कर दिया गया था. बाद में ये जो पोस्ट सर्कुलेट हुआ ये उसका स्क्रीनशॉट है. इस पोस्ट को लेकर मुंबई पुलिस को शक इसलिए भी है क्योंकि इससे पहले लॉरेंस गैंग की तरफ से जब भी कोई पोस्ट डाला गया वो या तो उसके खास रोहित गोदारा या फिर अनमोल बिश्नोई की तरफ से ही डाला गया. लेकिन इस पोस्ट में ऐसा कुछ नहीं था. मुंबई पुलिस का मानना है कि एक संभावना ये भी है कि पोस्ट डालने के बाद लॉरेंस गैंग ने ही पोस्ट डिलीट करवा दिया हो. क्योंकि इस पोस्ट में जिस तरह जिम्मेदारी ली गई. उससे लॉरेंस के खिलाफ एक और मुकदमा दर्ज हो जाता. पर पोस्ट के बाहर बाबा सिद्दीकी का कत्ल लॉरेंस क्यों करेगा? इसका जवाब अबतक मुंबई पुलिस ढूंढ नहीं पाई है.

(साथ में फैक्ट चेक टीम और मनीषा झा का इनपुट)


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