रतन टाटा को जब इस बड़ी कंपनी से मिला था नौकरी का ऑफर, इस वजह से कर दिया था इनकार

रतन टाटा को जब इस बड़ी कंपनी से मिला था नौकरी का ऑफर, इस वजह से कर दिया था इनकार

जॉब & एजुकेशन

रतन टाटा का बुधवार देर रात को निधन हो गया. जिसके बाद देश में शोक की लहर है. रतन टाटा (Ratan Tata) केवल एक सफल उद्योगपति नहीं थे, बल्कि उन्होंने टाटा ग्रुप (Tata Group) को नई उंचाइयों पर पहुंचाकर उसे वैश्विक पहचान दिलाई. आज हम उनकी जिंदगी का एक अहम किस्सा आपको बताएंगे. रतन टाटा को एक वक्त बड़ी कंपनी से ऑफर मिला था लेकिन उन्हें किन्हीं कारणों से उसे ठुकरना पड़ा था, आइए जानते हैं क्या है पूरा किस्सा…

रतन टाटा को एक सफल बिजनेसमैन के रूप में पहचाना जाता है. रतन टाटा ने अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की. इस दौरान उन्होंने वहीं बसने का मन बना लिया था. लेकिन उनके परिवार में उनकी दादी, लेडी नवाजबाई (Lady Navajbai) की तबीयत खराब होने पर उन्हें भारत लौटना पड़ा.

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जेआरडी टाटा ने कही थी ये बात

रिपोर्ट्स के अनुसार भारत लौटने के बाद रतन टाटा ने IBM को जॉइन करने का ऑफर मिला. लेकिन टाटा ग्रुप के तत्कालीन चेयरमैन जेआरडी टाटा (JRD Tata) को जब इस बात का पता चला, तो उन्होंने रतन टाटा को फोन करके कहा कि वे भारत में रहकर IBM के लिए नौकरी नहीं कर सकते. इसके बाद उन्होंने रतन को अपना बायोडाटा टाटा ग्रुप के लिए साझा करने के लिए कहा.

इस साल ज्वाइन किया था टाटा ग्रुप

साल 1962 में उन्होंने टाटा इंडस्ट्रीज ज्वाइन की. टाटा परिवार के सदस्य होते हुए भी उन्होंने अपनी मेहनत से सभी काम किए. धीरे-धीरे उन्होंने कंपनी के सर्वोच्च पद तक पहुंचने का सफर तय किया. रतन टाटा ने अपने सफर की शुरुआत टाटा मोटर्स से की. इसके बाद 1963 में उन्होंने टाटा स्टील में एक तकनीकी अधिकारी के रूप में काम करना शुरू किया। 1965 तक, उन्होंने इंजीनियरिंग विभाग में अपनी सेवाएं दीं। इसके बाद उन्होंने अपना अहम योगदान विभिन्न पदों पर रहते हुए दिया.

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बने टाटा ग्रुप के अध्यक्ष

वर्ष 1991 में रतन टाटा ने टाटा संस और टाटा ग्रुप का अध्यक्ष पद संभाला. उन्होंने 21 वर्षों तक समूह का नेतृत्व किया और इसे नई उंचाइयों पर पहुंचाया. उनके नेतृत्व में टेटली टी, जगुआर लैंड रोवर, और कोरस का अधिग्रहण हुआ.

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