‘रीता सान्याल’ वेब सीरीज की कहानी
कहानी की शुरुआत एक हल्के-फुल्के अंदाज में होती है। जहां वकील रीता सान्याल (अदा शर्मा) रॉकी का बचाव कर रही हैं। रॉकी एक कुत्ता है, जिस पर पांच फीट की बाड़ पर चढ़ने और चार पिल्लों के पिता बनने का आरोप है। दूसरे कुत्ते का परिवार इसके लिए दस लाख रुपये के मुआवजे की मांग कर रहा है। केस जीतने के बाद रीता की मुलाकात कोर्ट के बाहर ही केशव से होती है, जिसकी मां को स्थानीय विधायक पारव राणे की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। जब रीता, केशव से इस बारे में जानकारी मांगती है, तो वह बताता है कि यह अपराध उसकी मां ने नहीं, बल्कि उसने खुद किया है और दावा करता है कि उसने ‘परफेक्ट मर्डर’ को अंजाम दिया है।
रीता अब केशव का यह केस लड़ती है। लेकिन कोर्टरूम में उसका सामना वकील एम राज ठकराल (राहुल देव) से होता है। रीता और ठकराल का एक इतिहास है। लिहाजा, अब लड़ाई सिर्फ कानूनी दांव पेच की ही नहीं, बल्कि कहीं ना कहीं व्यक्तिगत भी है।
‘रीता सान्याल’ का ट्रेलर
‘रीता सान्याल’ वेब सीरीज रिव्यू
‘रीता सान्याल’ एक ऐसा कानूनी क्राइम ड्रामा है, जिसे आप आसानी से भूल सकते हैं। ऐसा इसलिए कि इसके खत्म होने के बाद यह आप पर कोई स्थाई प्रभाव नहीं छोड़ता। यह सीरीज लेखकर आमिर खान के उपन्यासों ‘रीता सान्याल के मुकदमे’ पर आधारित है। लेकिन यह सीरीज आपके धैर्य की पूरी परीक्षा लेता है। एक कोर्ट-रूम ड्रामा होने के कारण सीरीज में जो गंभीरता होनी चाहिए, वह इसमें गायब है।
सीरीज का टाइटल ‘रीता सान्याल’ है। इसमें सान्याल एक बंगाली सरनेम है। लेकिन शो में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो इस किरदार को बंगाल से जोड़ता हो। सीरीज का मुख्य किरदार ना तो एक शब्द बंगाली में बोलती है और ना ही उसका रहन-सहन या उसकी सांस्कृति में कहीं इसकी झलक है।
अदा शर्मा लीड रोल में सहज दिखती हैं। लेकिन उनकी अदाकारी सतही है। सीरीज में कॉमेडी करने की उनकी हर कोशिश बेकार जाती है। ठकराल के रोल में राहुल देव गंभीर और कठोर दिल वाले अंदाज में खतरनाक लगते हैं। लेकिन स्क्रिप्ट में झोल ये है कि यह एंटरटेनिंग कानूनी ड्रामा में सिर्फ एंटरटेनमेंट पर फोकस करती है।
मेकर्स ने ‘रीता सान्याल’ नाम के किरदार को कोर्टरूम ड्रामा के जॉनर में एक नए चेहरे के तौर पर स्थापित करने की अच्छी कोशिश की है। लेकिन बेहतर होगा कि आप इस सीरीज को सिर्फ मनोरंजन के लिहाज से देखें।
वेब सीरीज के पहले सीन से ही रीता सान्याल कानूनी व्यवस्था को हल्के में लेती है। यह निर्माताओं और लेखकों के इरादे बताने के लिए काफी है। मार्शल आर्ट्स में माहिर एक महिला ‘ज़ी’ का किरदार नीरीशा बसनेट ने निभाया है। उसे केशव को मारने का काम सौंपा गया है। लेकिन यह सीरीज की कहानी को अलग ही दिशा में बहा ले जाता है। बेहतर होता, अगर मेकर्स इसकी बजाय सस्पेंस और साजिश को बेहतर बनाने पर समय खर्च करते।
कुल मिलाकर, ‘रीता सान्याल’ एक शौकिया तौर पर बनाया गया कोर्टरूम-थ्रिलर है, जिसके स्ट्रीम हो चुके पहले दो एपिसोड देखकर आप तय कर सकते हैं कि इस पर समय खर्च करना है या नहीं।
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