30 अक्टूबर, 1909 को भारत के न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक माने जाने वाले होमी जहांगीर भाभा का जन्म मुंबई के एक पारसी परिवार में हुआ था. 1927 में 18 साल की उम्र में युवा होमी अपने पिता की इच्छा के अनुसार मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी गए. उन्होंने जल्द ही निर्णय लिया कि उनकी असली रुचि परमाणु भौतिकी में है, एक ऐसा क्षेत्र जो उस समय कैम्ब्रिज में केन्द्र के रूप में फल-फूल रहा था.
होमी जहांगीर भाभा ने सबसे पहले परमाणु शक्ति संपन्न भारत की कल्पना की और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में प्रगति के माध्यम से भारत को आत्मनिर्भर बनाने का सपना देखा. उनके प्रयोगों और अथक प्रयासों की बदौलत भारत आज दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु शक्तियों में से एक के रूप में उभरा है.
शुरू से न्यूक्लियर फीजिक्स में थी रुचि
न्यूक्लियर फीजिक्स में रुचि भौतिकी में उनकी गहरी रुचि ने उन्हें कैंब्रिज में रहने के लिए फीजिक्स में डिग्री पूरी करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने यहां से परमाणु भौतिकी में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की. यूरोप में रहते हुए उनकी मुलाकात उस समय के कई महान भौतिकविदों से हुई. जिन्होंने बाद में अमेरिका-ब्रिटेन के युद्धकालीन परमाणु हथियार कार्यक्रमों में प्रमुख भूमिकाएं निभाईं.
उनमें नील्स बोहर, जेम्स फ्रैंक और एनरिको फर्मी शामिल थे. भाभा को अंतरराष्ट्रीय भौतिकी समुदाय में काफी सम्मान प्राप्त था और उन्होंने अपना नाम भाभा इलेक्ट्रॉन प्रकीर्णन की घटना से जोड़ा है.
भारत लौटने पर परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम पर शुरू किया काम
विदेश में रहते हुए भाभा को विखंडन की खोज के बारे में पता चला. वे 1939 में भारत लौट आए. अप्रैल 1948 में तत्कालीन प्रधानमंत्री ने संविधान सभा में भाभा के अनुरोध पर परमाणु ऊर्जा अधिनियम पारित करने पर सहमति व्यक्त की, जिससे भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग (IAEC) का निर्माण हुआ.
वह 1945 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के संस्थापक निदेशक रहे और ट्रॉम्बे एटॉमिक एनर्जी एस्टैब्लिशमेंट के निदेशक रहे. बाद में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा उनकी स्मृति में नाम बदलकर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र कर दिया गया.
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1966 में प्लेन क्रैश में हो गई थी मौत
होमी भाभा की मृत्यु 24 जनवरी, 1966 को एअर इंडिया की उड़ान 101 की दुर्घटना में हुई थी. मोंट ब्लांक पर्वत के पास विमान की स्थिति के बारे में जिनेवा हवाई अड्डे और उड़ान के पायलट के बीच गलत संचार के चलते फ्लाइट क्रैश हो गई.
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प्रमुख घटनाएं
30 अक्टूबर 1905 में रूसी शासक ज़ार निकोलस द्वितीय ने पहले रूसी संविधान को मंजूरी दी थी.
30 अक्टूबर 1922 में बेनिटो मुसोलिनी इटली के इतिहास में सबसे युवा प्रधानमंत्री बने थे.
30 अक्टूबर 1961 में जोसेफ स्तालिन की कब्र को मास्को के रेड स्क्वायर स्थित लेनिन के मकबरे से निकालकर क्रेमलिन वाल के पास दफ़नाया गया था.
30 अक्टूबर 1973 में तुर्की के इस्तांबुल में यूरोप और एशिया को जोड़ने वाला बॉस्पोरस ब्रिज बनकर तैयार हुआ था.
30 अक्टूबर 2008 में असम की राजधानी गुवाहाटी और 13 अन्य जगहों पर धमाके हुए थे, जिनमें 66 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी.
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