भारत-चीन के बीच समझौते के बाद पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर सेनाओं का डिसइंगेजमेंट यानी सैनिकों की वापसी शुरू हो गई है. सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है. डेपसांग और डेमचौक में स्थानीय कमांडर डिसइंगेजमेंट पर नजर रख रहे हैं. बुधवार को डेमचौक में दोनों तरफ से एक-एक तंबू हटा दिया गया.
गुरुवार को कुछ अस्थायी ढांचों को भी तोड़ा गया. डेमचौक में, भारतीय सैनिक चार्डिंग नाला के पश्चिमी हिस्से की ओर पीछे हट रहे हैं, जबकि चीनी सैनिक नाला के पूर्वी हिस्से की ओर पीछे हट रहे हैं. दोनों तरफ करीब 10 से 12 अस्थायी ढांचे और करीब 12 तंबू बने हुए हैं, जिन्हें हटाने की तैयारी है.
4-5 दिनों में शुरू हो सकती है गश्त
डेपसांग में चीनी सेना के पास टेंट नहीं हैं, लेकिन उन्होंने गाड़ियों के बीच तिरपाल का इस्तेमाल कर अस्थायी आश्रय स्थल बनाए हैं. गुरुवार को चीनी सेना ने इलाके में अपने वाहनों की संख्या कम कर दी और भारतीय सेना ने भी वहां से कुछ सैनिक कम कर दिए. यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद अगले 4-5 दिनों में डेपसांग और डेमचौक में गश्त फिर से शुरू होने की उम्मीद है.
भारत और चीन के बीच हुआ समझौता
भारत और चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) पर अपने सैनिकों को पीछे हटाने और फिर से पेट्रोलिंग शुरू करने के लिए एक नए समझौते पर पहुंचे हैं. कथित तौर पर यह समझौता डेपसांग और डेमचौक इलाकों में पेट्रोलिंग से संबंधित है. जानकारी के मुताबिक संघर्ष के इन दोनों बिंदुओं (डेपसांग और डेमचौक) पर पेट्रोलिंग शुरू हो चुकी है और जल्द ही दोनों देश अपने सैनिकों को पीछे हटाना शुरू कर देंगे, जिसे मिलिट्री टर्म में डिसइंगेजमेंट कहते हैं.
पीएम मोदी की रूस यात्रा से पहले बनी बात
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच पेट्रोलिंग की व्यवस्था को लेकर बनी सहमति से 2020 में पूर्वी लद्दाख में उत्पन्न हुए तनाव का धीरे-धीरे समाधान हो रहा है. यह महत्वपूर्ण घटनाक्रम 22-23 अक्टूबर को हुए 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा से ठीक पहले सामने आया था.
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