INLD प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला का हुआ निधन,5 बार रहे चुके हरियाणा के CM!
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और इंडियन नेशनल लोकदल के प्रमुख रहे ओम प्रकाश चौटाला का शुक्रवार को निधन हो गया। ओपी चौटाला ने गुरुग्राम में अपने घर में अंतिम सांस ली। ओम प्रकाश चौटाला का 89 साल की उम्र में निधन हुआ।
हरियाणा के पूर्व सीएम और इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला ने शुक्रवार को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली. वह काफी समय से बीमार चल रहे थे. वह 89 साल के थे.
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला का निधन हो गया. 89 साल की उम्र में उन्होंने गुरुग्राम में अंतिम सांस ली. ओम प्रकाश चौटाला लंबेसमय से बीमार चल रहे थे. उनकी पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल के कार्यकर्ता ने बताया कि आज सुबह 11.50 के करीब उनकी अचानक से तबीयत खराब हो गई थी. जिसके बाद उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल ले जाया गया. यहां उन्होंने अंतिम सांस ली.
ओम प्रकाश चौटाला का सियासी कद:
ओपी चौटाला का जन्म 1 जनवरी 1935 को हरियाणा के सिरसा जिले के चौटाला गांव में हुआ. उनके पिता चौधरी देवी लाल हरियाणा के मुख्यमंत्री और देश के उप प्रधानमंत्री रहे. घर में राजनीति का माहौल था, जिसने उनकी आगे की जिंदगी का सफर भी पहले ही तय कर दिया था. पढ़ाई बीच में छोड़कर उन्होंने पिता के नक्शे कदम पर चलने का फैसला ले लिया था.
ओम प्रकाश चौटाला का नाम हरियाणा के कद्दावार नेताओं में शुमार था. वो अपने पिता की तरह ही हरियाणा के मुख्यमंत्री रहें. वो 7 बार विधायक रहे और 5 बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बनें. मौजूदा वक्त में वो हरियाणा की क्षेत्रीय पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे.
सीएम का पूरा कार्यकाल सिर्फ एक बार किया :
ओपी चौटाला 5 बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे हों, लेकिन वो सिर्फ एक बार अपना कार्यकाल ही 5 साल तक पूरा कर पाए. चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल ने साल 2000 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई, जो पूरे 5 साल चली और ओपी चौटाला इस दौरान मुख्यमंत्री रहे.
वैसे 1989 से 1991 के बीच एक वक्त ऐसा भी आया जब डेढ साल से कम के वक्त में वो 3 बार मुख्यमंत्री बन गए. दिसंबर 1989 में जब चौधरी देवीलाल देश के उप प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने अपने बेटे ओपी चौटाला को बिना विधायक बने ही हरियाणा का मुख्यमंत्री बनवा दिया. देवीलाल की महम विधानसभा सीट खाली हुई तो 27 फरवरी 1990 को उपचुनाव के दौरान बूथ कैप्चरिंग से लेकर फायरिंग जैसी घटनाएं हुई जिसमें 8 लोगों की जान भी चली गई. जिसके बाद चुनाव रद्द हो गया.
बिना विधायक चुने बने थे मुख्यमंत्री:
करीब 3 महीने बाद 21 मई 1990 को महम सीट पर फिर उपचुनाव होना था, लेकिन एक उम्मीदवार की हत्या हो गई. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जज से मामले की जांच करवाई गई. केंद्र सरकार और उपप्रधानमंत्री देवीलाल पर दबाव बढ़ा तो ओम प्रकाश चौटाला का इस्तीफा दिलाया गया. 172 दिन मुख्यमंत्री रहने के बाद चौटाला ने इस्तीफा दिया, खास बात ये है कि इस दौरान वो बिना विधायक चुने ही मुख्यमंत्री बने रहे.
कभी 5 दिन और 15 दिन के सीएम-:
इसके बाद जनता दल ने बनारसी दास को मुख्यमंत्री बनाया लेकिन वो सिर्फ 51 दिन सीएम रहे, 12 जुलाई 1990 को चौटाला फिर से सीएम की कुर्सी पर बैठ गए. कांग्रेस ने फिर से महम कांड को उठाया तो चौटाला को सिर्फ 5 दिन बाद 17 जुलाई को ही इस्तीफा देना पड़ा. 17 जून को हुकुम सिंह ने सीएम की कुर्सी संभाली लेकिन 248 दिन बाद चौटाला ने उन्हें कुर्सी से हटाकर फिर से 22 मार्च 1990 को मुख्यमंत्री बन गए. फिर विरोध हुआ तो 15 दिन बाद 5 अप्रैल को कुर्सी छोड़ दी. जिसके बाद हरियाणा में राष्ट्रपति शासन लग गया.
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