थैले वाली DAP के मुकाबले 27% तक ज्यादा उपज बढ़ाता है Nano DAP, ICAR’s के रिसर्च को पढ़ लीजिए!

थैले वाली DAP के मुकाबले 27% तक ज्यादा उपज बढ़ाता है Nano DAP, ICAR’s के रिसर्च को पढ़ लीजिए!

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थैले वाली DAP के मुकाबले 27% तक ज्यादा उपज बढ़ाता है Nano DAP, ICAR’s के रिसर्च को पढ़ लीजिए!

नैनो DAP: अभी तक किसान बोरी वाला DAP ही उपयोग करते आए हैं। देश में यूरिया के बाद डीएपी सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है। अब वैज्ञानिकों ने नैनो डीएपी की खोज की है। ICAR के एक रिसर्च से प्रमाणित हुआ है कि नैनो डीएपी के संतुलित उपयोग से उपज में 2.4 फीसदी से लेकर 27 फीसदी तक बढ़ोतरी हो गई।

नई दिल्ली: जब हमारा देश आजाद हुआ था तो यहां खाने को पर्याप्त अनाज पैदा नहीं होते थे। स्थिति यह थी कि भुखमरी से बचने के लिए विदेशों से गेहूं का आयात करना पड़ता था। उसके बाद भारतीय भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) संस्थान के वैज्ञानिकों ने रिसर्च किया और हरित क्रांति (Green Revolution) का आगाज हुआ। अब फिर से एक क्रांति हो रही है।

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यह क्रांति है खोतों में बोरी भर-भर कर रासायनिक खाद डालने के बदले महज एक छोटी सी बोतल खाद का छिड़काव। इससे किसानों और सरकार को तो बचत हो रहा है, उपज में भी बढ़ोतरी हो रही है।

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उपज में 27 फीसदी तक की होगी बढ़ोतरी:

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के तहत काम करने वाला संगठन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद या ICAR ( Indian Council of Agricultural Research) के देश भर में रिसर्च इंस्टीच्यूट हैं। ये इंस्टीच्यूट विभिन्न कृषि और बागवानी फसलों के लिए हैं। इन्हीं इंस्टीच्यूट्स में हुए Field experiments से पता चला है कि जिन खेतों में नैनो डीएपी (Nano DAP) का उपयोग किया गया, उनमें पारंपरिक बोरी वाले डीएपी के मुकाबले उपज में बढ़ोतरी हो गई। यह बढ़ोतरी 2.4 फीसदी से लेकर 27 फीसदी तक की थी। हालांकि यह बढ़ोतरी तभी दर्ज की गई जबकि खेतों में अनुशंसित खुराक में नैनो डीएपी डाला जाए।

किस फील्ड में और कहा हुआ एक्सपेरिमेंट:

ICAR के इंस्टीच्यूट्स ने यह field experiment देश भर में 3,000 से अधिक स्थानों पर किया। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पंजाब में विभिन्न इलाकों के किसानों को इससे जोड़ा गया। उनके खेतों में चावल, गेहूं, मक्का, मूंग, चना, लाल चना, मूंगफली, कपास, आलू, प्याज, लौकी और गोभी सहित कई फसलों में ग्रोमोर नैनो डीएपी की प्रतिक्रिया का अध्ययन किया।

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कौन कौन से से इंस्टीच्यूट थे शामिल:

इस फील्ड एक्सपेरिमेंट में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के कई प्रतिष्ठित संस्थान शामिल थे। जैसे कि भारत कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) – नई दिल्ली, भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान (IIRR) – हैदराबाद, भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान (IIMR) – हैदराबाद, भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान (IIPR) – कानपुर, केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान (CICR) – नागपुर, भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (IIHR) – बेंगलुरु और भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR) – वाराणसी।

इसका परीक्षण विभिन्न राज्य कृषि विश्वविद्यालयों जैसे कि तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय – कोयंबटूर, प्रोफेसर जयशंकर तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय – हैदराबाद, महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ – राहुरी, डॉ पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ – अकोला और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय- लुधियाना में भी किया गया। इसके अलावा किसानों के खेतों में इसका स्पष्ट रूप से प्रदर्शन भी किया गया।

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किसानों के सम्मुख कई तरह की बाधाएं:

भारतीय किसानों को कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है, जैसे मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन की कमी, असंतुलित उर्वरक, multi-nutrient तत्वों की कमी और उर्वरक प्रतिक्रिया अनुपात में कमी। इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन के प्रभाव भी खेतों में दिखने लगे हैं। सबसे बड़ा प्रभाव तो रासायनिक उर्वरकों का असंतुलित उपयोग है,

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क्योंकि इन उर्वरकों पर सरकार भारी सब्सिडी देती है। इससे किसान को खाद सस्ते मिलते हैं और वे खेतों में इसका असंतुलित उपयोग करते हैं।

नैनो तकनीक की हुई खोज:

खेतों में रासायनिक खाद के असंतुलित उपयोग की समस्या से निजात पाने के लिए वैज्ञानिकों ने नैनो तकनीक जैसी अत्याधुनिक तकनीकों की खोज शुरू कर दी है। यह पर्यावरणीय मुद्दों के साथ तालमेल बिठाते हुए पोषक तत्वों की हानि के बिना इनपुट देने के लिए सटीक प्रक्रियाओं और उत्पादों को प्राप्त करने के लिए परमाणु हेरफेर को सक्षम बनाती है। इसे हल करने के लिए इफको और कोरोमंडल इंटरनेशनल 2023 से ही Nano DAP का निर्माण कर रहा है।

देश भर में फैलाया जाएगा नैनो डीएपी:

वित्त मंत्री ने अंतरिम बजट 2024-25 में सभी कृषि-जलवायु क्षेत्रों में विभिन्न फसलों पर उर्वरक के रूप में नैनो डीएपी/DAP (Di-Ammonium Phosphate) के अनुप्रयोग के विस्तार की घोषणा की है। दरअसल, DAP, भारत में यूरिया के बाद दूसरा सर्वाधिक इस्तेमाल किया जाने वाला खाद है। DAP को भारत में अधिक वरीयता दी जाती है क्योंकि इसमें नाइट्रोजन और फॉस्फोरस दोनों शामिल होते हैं।

उल्लेखनीय है कि ये दोनों ही तत्त्व macronutrients हैं और पौधों के लिये आवश्यक 18 पोषक तत्त्वों का हिस्सा हैं। उल्लेखनीय है कि DAP में 18% नाइट्रोजन और 46% फॉस्फोरस होता है। इसका निर्माण उर्वरक संयंत्रों में नियंत्रित परिस्थितियों में phosphoric acid के साथ अमोनिया की अभिक्रिया द्वारा किया जाता है।

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